जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महापुरुषों के अनमोल विचार

उपलब्धि 

"मेरे लिए उपलब्धि सक्रियता में है, जितने सर्वश्रेषठ ढंग से मैं बीज बो सकता हूँ। उतने बेहतर ढंग से मैं उन्हें बोता हूँ और उसके बाद सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देता हूँ।" -डी प्रताप सिंह रेड्डी

आदर्श मार्ग 

"हम एक आदर्श रास्ते की खोज में दिनोदिन इन्तजार करते रहते हैं कि शायद वह अब मिलेगा मगर हम भूल जाते हैं कि रास्ते चलने के लिए बनाये जाते हैं, इन्तजार के लिए नहीं।" -अज्ञात


"जब एक बार सही पथ के अनुगमन की इच्छा ही नहीं रहे तो यह अनुभूति ही नहीं हो सकती कि ग़लत क्या है।" -अज्ञात

इच्छा

"इच्छाओं को आगे न बढ़ने दो तो फिर तुम ख़ुद जीवन में आगे ही बढ़ते जाओगे।" - अज्ञात


"दुःख और भय की प्रतीति इच्छा के कारण ही होती है। इच्छा से विहीन व्यक्ति दुःख और भय से मुक्त रहता है।" -भगवान बुद्ध

फ़ैसला

"जब आप किसी के बारे में फ़ैसला लेने लगते हैं तो प्यार करना भूल जाते हैं।" -मदर टेरेसा
"जैसा बोएंगे वैसा ही पाएंगे।" - बाइबिल

"कर्मों की ध्वनि सबसे ऊँची होती है।" 
-अज्ञात

"कुछ लोग उन चीजों को देखते हैं, जो हैं और पूछते हैं कि वे ऐसी क्यों हैं, मैं उन चीजों के स्वप्न देखता हूँ, जो कभी नहीं थीं और कहता हूँ कि वे क्यों नहीं हो सकती हैं।" 
- जॉर्ज बर्नार्ड शो


"सबसे आसान काम है दोष ढूँढना और सबसे मुश्किल काम है करना इसलिए लोग आसान काम करते हैं।" -अज्ञात  

प्रार्थना 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भामवेत॥

भावार्थ : सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी सज्जन दिखाई पडे, किसी को भी दुःख न हो।

नीति 

"पुस्तकें और धर्म-नीतियों को पढ़ने का तब तक कोई लाभ नहीं जब तक इस पर अमल न किया जाए।"

सादगी 

"सादगी और कम बोलने से बहुत कुछ मिलता है, ज्यादा तर्क देने से कुछ मिलता नहीं बल्कि उपहास उड़ता है।"

नियंत्रण 

"वाणी पर नियंत्रण रखना और असत्य न बोलना, अशुभ विचार व्यक्त न करना है।"


मन पर नियंत्रण - मन में विकार न आने दें, अशुभ विचार न आने दें और मन को विषय वासना से बचाकर रखें कोई भी काम अनाडीपन से न करें, पूरी कुशलता से और ठीक से सोच विचार कर करें। यह कर्म पर नियंत्रण रखना है।

यात्रा 

"सही मार्ग पर चलना 'यात्रा' है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना 'भटकना' है।"

महाजनो ये गतः सा पन्थाः

जिस मार्ग पर महापुरुष चले हैं, वस्तुतः वही मार्ग है।


"न जल्दी करो, न परेशान हो. क्योंकि आप यहाँ एक छोटी-सी यात्रा पर हैं. इसलिए निश्चिन्त होकर रुकिए और फूलों की खुशबू का आनंद उठाइए." -वाल्टर हेगन    

मित्र 

"परदेश में विद्या मित्र है। विपत्ति में धैर्य मित्र है। घर में पत्नी मित्र है। रोगी का मित्र वैद्य है।" -चाणक्य 


"मरते हुए प्राणी का मित्र धर्म है। आचरण करने पर ज्ञान मित्र है। शत्रु सामने हो तो शस्त्र मित्र है। शस्त्र का मित्र साहस है। जो जरुरत पड़ने और संकट के समय पर काम आ जाए वह भी मित्र है। पर जो व्यक्ति स्वार्थी, नीच मनोवृत्तिवाला, कटु भाषी और धूर्त होता है उसका कोई मित्र नहीं होता, न वह ख़ुद किसी का मित्र होता है।" -चाणक्य 


"मुझे एकांत से बढ़कर योग्य साथी कभी नहीं मिला।" -थोरो



"दोस्ती धीरे-धीरे पैदा करो, लेकिन जब कर लो तो उसमें दृढ़ अटल रहो।" - सुकरात 


सबका मीत हम अपना कीना

हम सभना के साजन

भावार्थ: सबको मित्र बनाओ तथा सबके मित्र बनो।

-गुरु नानक देव

आत्मा 

"आत्मा को मत भूलो |"


"हमारे संस्कार बचपन से ही ऐसे बन जाते हैं कि हमारा ध्यान भीतर की तरफ़ नहीं जाता, बाहर की तरफ़ जाता है।"


"आत्मा की हमें कोई ख़बर नहीं।"



"आत्मा के लिए शरीर एक कलेवर मात्र है, जब चाहा ओढा, जब चाहा उतारकर रख दिया।" - गरूढ़ पुराण

विपत्ति

"विपत्ति में भी जिसका विवेक नष्ट नहीं होता, वह व्यक्ति निश्चय ही नष्ट होने से बच जाता है, नष्ट नहीं होता।"

बल 

"विद्वान् का बल विद्या और बुद्धि है। राष्ट्र का बल सेना और एकता है। व्यापारी का बल धन और चतुराई है। सेवक का बल सेवा और कर्तव्यपरायणता है। शासन का बल दंड-विधान और राजस्व है। सुन्दरता का बल युवावस्था है। नारी का बल शील है। पुरूष का बल पुरुषार्थ है। वीरों का बल साहस है, निर्बल का बल शासन व्यवस्था है। बच्चों का बल रोना है। दुष्टों का बल हिंसा है। मूर्खों का बल चुप रहना है और भक्त का बल प्रभु की कृपा है।"

लोभ

"कदाचित सोने और चांदी के कैलाश के समान असंख्य पर्वत हो जायें तो भी लोभी पुरूष को तृप्ति नहीं होती क्योंकि इच्छा आकाश के समान अनंत है।" -समन सुर्त

मनुष्य 

"मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है। " -अग्नि पुराण
 


"वह मनुष्य बड़ा भाग्यवान है जिसकी कीर्ति उसकी सत्यता से अधिक प्रकाशमान नहीं है।"-रविन्द्र नाथ टैगोर


बड़े भाग्य मानुष तन पावा।

सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा॥
साधन धाम मोक्ष कर द्वारा।
पाय न जेहि परलोक संवारा॥
-रामचरितमानस

"अपनी औकात कभी मत भूलो।"
-अरस्तु

"उदारता मनुष्य का श्रेष्ठ गुन है। "
-चार्वाक 


"आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त हमारी यह देहपुरी एक अपराजेय देवनगरी है। इसमे एक हिरण्यमय कोष है, जो ज्योति और आनंद से परिपूर्ण है। " - अथर्ववेद 



"आप कुछ भी कर पाने में सक्षम हैं चाहे वह आपकी सोच हो, आपका जीवन हो या आपके सपने हों, सब सच हो सकते हैं . आप जो चाहें वह कर सकते हैं. आप इस अनंत ब्रह्माण्ड की तरह ही अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं."शेड हेल्म्स्तेटर